Public Holiday: राजस्थान के बांसवाड़ा जिले के नागरिकों के लिए एक अच्छी खबर है. कैलेंडर वर्ष 2025 के लिए जिला कलेक्टर द्वारा दो स्थानीय अवकाश घोषित किए गए हैं. इनमें 27 अगस्त 2025 (बुधवार) को गणेश चतुर्थी और 3 सितंबर 2025 (बुधवार) को देवझूलनी एकादशी के अवसर पर अवकाश रहेगा.
इन दो दिनों में जिले के सभी सरकारी दफ्तर, स्कूल-कॉलेज और बैंक बंद रहेंगे. ऐसे में आम नागरिकों को सलाह दी जाती है कि वे इन तारीखों से पहले अपने आवश्यक सरकारी और बैंकिंग कार्य निपटा लें.
गणेश चतुर्थी पर विशेष रहेगा धार्मिक उल्लास
गणेश चतुर्थी, जिसे ‘विनायक चतुर्थी’ भी कहा जाता है. हिन्दू पंचांग के अनुसार भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को मनाई जाती है. यह दिन भगवान गणेश के जन्मोत्सव के रूप में मनाया जाता है.
बांसवाड़ा जिले में यह पर्व विशेष श्रद्धा और धूमधाम से मनाया जाता है. तलावड़ा गांव में स्थित श्री सिद्धि विनायक गणेश मंदिर जिले का एक प्रमुख आस्था स्थल है. जहां इस दिन भक्त मीलों पैदल चलकर दर्शन के लिए आते हैं.
मान्यता है कि इस मंदिर में एक बार दर्शन करने से भक्तों के सभी दुखों का अंत हो जाता है. गणेश चतुर्थी से शुरू होकर 10 दिनों तक गणपति पूजा की जाती है और अनंत चतुर्दशी के दिन मूर्तियों का विसर्जन किया जाता है.
गणेश चतुर्थी पर घर-घर गूंजेगा ‘गणपति बप्पा मोरया’
इस दिन जिले में घरों, मोहल्लों और पंडालों में भगवान गणेश की मूर्तियां स्थापित की जाती हैं. लोग पूजन, आरती और प्रसाद से पूरे वातावरण को भक्तिमय बना देते हैं. बच्चों से लेकर बुजुर्गों तक सभी इस त्योहार में सक्रिय भागीदारी निभाते हैं.
स्थानीय बाजारों में मिट्टी की गणेश मूर्तियों, पूजा सामग्री और मिठाइयों की बिक्री भी चरम पर रहती है. हर गली में ‘गणपति बप्पा मोरया’ के जयकारे सुनाई देते हैं.
देवझूलनी एकादशी
देवझूलनी एकादशी को लेकर भी बांसवाड़ा जिले में विशेष उत्साह रहता है. यह पर्व भाद्रपद माह की शुक्ल पक्ष की एकादशी को मनाया जाता है. धार्मिक मान्यता के अनुसार इस दिन भगवान विष्णु योग निद्रा से जागते हैं और अपनी झूले की सवारी पर नगर भ्रमण को निकलते हैं.
इस अवसर पर जिले भर में रामरेवाड़ियों की शोभायात्रा निकाली जाती है. श्रद्धालु व्रत रखते हैं और भगवान विष्णु की विशेष पूजा-अर्चना करते हैं.
अखाड़ों के करतब और शोभायात्रा में उमड़ती है भीड़
देवझूलनी एकादशी पर शहर के प्रमुख मंदिरों से भव्य शोभायात्राएं निकलती हैं. रामरेवाड़ियों में सजाकर भगवान को नगर भ्रमण पर ले जाया जाता है. इस दौरान स्थानीय अखाड़ों के पहलवान हैरतअंगेज करतब दिखाते हैं. जिसे देखने के लिए भारी संख्या में लोग जुटते हैं.
रास्ते भर श्रद्धालु ढोल-नगाड़ों और भजनों के साथ झूमते हुए चलते हैं. शाम को राजतालाब पर भव्य मेला लगता है, जिसमें स्थानीय हस्तशिल्प, खाने-पीने की वस्तुएं और बच्चों के मनोरंजन के साधन होते हैं.
दोनों छुट्टियां धार्मिक और सांस्कृतिक दोनों दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण
इन दोनों त्योहारों का बांसवाड़ा जिले में केवल धार्मिक महत्व ही नहीं है, बल्कि ये स्थानीय सांस्कृतिक पहचान का भी प्रतीक हैं. हर साल बड़ी संख्या में लोग इन आयोजनों में हिस्सा लेते हैं और पारंपरिक रंग में रंगे नजर आते हैं.
सरकार द्वारा इन त्योहारों पर स्थानीय अवकाश घोषित करना न केवल सामाजिक परंपराओं को सम्मान देना है, बल्कि लोगों को त्योहारों को पूरे मन से मनाने का अवसर भी देना है.
स्थानीय प्रशासन की तैयारी और निर्देश
जिला प्रशासन द्वारा इन दोनों अवसरों पर भीड़ प्रबंधन, सुरक्षा व्यवस्था, स्वच्छता और यातायात नियंत्रण को लेकर विशेष दिशा-निर्देश दिए जाते हैं.
बांसवाड़ा नगर परिषद और पुलिस प्रशासन इन पर्वों के दौरान व्यवस्था बनाए रखने में पूरी मुस्तैदी दिखाते हैं. मंदिरों के आस-पास साफ-सफाई, पानी की व्यवस्था, सुरक्षा घेरा और मेडिकल सुविधाएं भी सुनिश्चित की जाती हैं.
नागरिक समय रहते निपटाएं जरूरी काम
चूंकि ये अवकाश बैंक, स्कूल और सरकारी दफ्तरों के लिए भी लागू होंगे, इसलिए जिलेवासियों को सलाह दी जाती है कि वे 27 अगस्त और 3 सितंबर से पहले अपने जरूरी दस्तावेज, लेन-देन और अन्य कार्यों को पूरा कर लें. ताकि त्योहार के दिन किसी तरह की असुविधा न हो.