Rajasthan New Expressway: चंबल एक्सप्रेसवे का मुख्य उद्देश्य इन तीनों राज्यों के पिछड़े क्षेत्रों में आर्थिक विकास को बढ़ावा देना है। यह एक्सप्रेसवे कोटा (राजस्थान) से शुरू होकर श्योपुर, सबलगढ़, मुरैना और भिंड (मध्य प्रदेश) होते हुए इटावा (उत्तर प्रदेश) तक जाएगा। इस परियोजना की कुल लागत ₹23,700 करोड़ आंकी गई है और इसे 2027 तक पूरा करने का लक्ष्य है।
यात्रा समय में भारी कमी
वर्तमान में कोटा से इटावा की यात्रा में लगभग 10-11 घंटे लगते हैं। चंबल एक्सप्रेसवे के निर्माण के बाद यह समय घटकर 6-7 घंटे रह जाएगा। यह न केवल समय की बचत करेगा बल्कि ईंधन की खपत में भी कमी लाएगा।
पर्यटन और औद्योगिक विकास को मिलेगा बढ़ावा
यह एक्सप्रेसवे रणथंभौर टाइगर रिजर्व, कूनो नेशनल पार्क और चंबल सेंचुरी जैसे प्रमुख पर्यटन स्थलों के निकट से गुजरेगा। इससे इन क्षेत्रों में पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा और स्थानीय लोगों के लिए रोजगार के नए अवसर निर्मित होंगे।
कृषि और व्यापार को मिलेगा नया आयाम
चंबल एक्सप्रेसवे के माध्यम से किसानों को अपनी उपज को बड़े बाजारों तक पहुंचाने में आसानी होगी। यह एक्सप्रेसवे दिल्ली-मुंबई एक्सप्रेसवे, आगरा-ग्वालियर ग्रीनफील्ड एक्सप्रेसवे और बुंदेलखंड एक्सप्रेसवे से भी जुड़ेगा, जिससे व्यापारिक गतिविधियों को नया आयाम मिलेगा।
परियोजना की वर्तमान स्थिति
मध्य प्रदेश में चंबल एक्सप्रेसवे का एलाइनमेंट कार्य पूरा हो चुका है, लेकिन भूमि अधिग्रहण की प्रक्रिया अभी चल रही है। पर्यावरणीय स्वीकृति के लिए भी आवेदन किया गया है। परियोजना को छह पैकेजों में विभाजित किया गया है और निर्माण कार्य के लिए निविदाएं जारी की गई हैं।
पर्यावरणीय चिंताएं और समाधान
चंबल क्षेत्र की बीहड़ भूमि के कारण पर्यावरणीय चिंताएं उठाई गई हैं। इसलिए, एक्सप्रेसवे का मार्ग इस तरह से निर्धारित किया गया है कि यह कूनो नेशनल पार्क और अन्य संवेदनशील क्षेत्रों से दूर रहे। इसके अलावा, पर्यावरण की रक्षा के लिए पौधारोपण और अन्य सतत विकास उपायों को अपनाया जाएगा।
स्थानीय लोगों की उम्मीदें
स्थानीय लोगों को इस परियोजना से रोजगार और विकास की नई उम्मीदें हैं। इटावा, मुरैना और श्योपुर जैसे जिलों के निवासी मानते हैं कि एक्सप्रेसवे के निर्माण से उनके क्षेत्रों में आर्थिक गतिविधियों में वृद्धि होगी और जीवन स्तर में सुधार आएगा।