Haryana BPL Family: आज के समय में जब सरकार देश के गरीब और जरूरतमंद लोगों को ध्यान में रखते हुए मुफ्त राशन, स्वास्थ्य सेवाएं, शिक्षा, और आवास जैसी योजनाएं चला रही है, तब कुछ लोग फर्जी तरीके अपनाकर इन सुविधाओं का अनुचित लाभ उठा रहे हैं। हरियाणा में बीपीएल कार्ड (Below Poverty Line Card) को लेकर बड़ा घोटाला सामने आया है, जहां करोड़ों की संपत्ति रखने वाले लोग खुद को गरीब बताकर सरकारी योजनाओं का लाभ उठा रहे हैं।
बीपीएल कार्ड से मिलती हैं कई सरकारी सुविधाएं
बीपीएल कार्ड धारकों को सरकार की तरफ से हर महीने सब्सिडी वाला राशन, आयुष्मान भारत योजना के तहत ₹5 लाख तक का मुफ्त इलाज, निःशुल्क शिक्षा, छात्रवृत्ति, और प्रधानमंत्री आवास योजना जैसी तमाम सुविधाएं दी जाती हैं। ये सारी योजनाएं देश के उन गरीब नागरिकों के लिए हैं जो आर्थिक रूप से बेहद कमजोर हैं और जिन्हें सरकारी सहयोग की सख्त जरूरत है। लेकिन जिनके पास कार, ट्रैक्टर, 2-3 मंजिला मकान और खेती की जमीन है, वे अगर इन योजनाओं का लाभ बीपीएल कार्ड दिखाकर लें तो यह सिर्फ कानून का उल्लंघन नहीं बल्कि नैतिक अपराध भी है।
बीपीएल सूची में नाम जुड़वाने का नया फर्जी तरीका
हरियाणा विधानसभा में जब बीपीएल सूची में असामान्य तेजी से वृद्धि का मुद्दा उठाया गया, तब सरकार ने तुरंत कार्रवाई शुरू की। पता चला कि कई लोगों ने परिवार पहचान पत्र (PPP) में झूठी जानकारी देकर खुद को गरीब दिखाया और बीपीएल कार्ड हासिल कर लिया।
सरकार ने साफ कर दिया है कि PPP डेटा में की गई गड़बड़ियों को अब सख्ती से निपटाया जाएगा। इसके लिए जिलावार सर्वे शुरू कर दिया गया है और फर्जी बीपीएल कार्ड धारकों की पहचान कर रिपोर्ट बनाई जा रही है।
कैसे किया जा रहा है सर्वे और जांच ?
प्रशासन की ओर से ब्लॉक वाइज रैंडम लिस्ट तैयार की गई है। इसके आधार पर विशेष टीमें घर-घर जाकर फिजिकल वेरिफिकेशन कर रही हैं। टीमों को मौके पर जाकर आवासीय स्थिति, संपत्ति, वाहन, खेती की भूमि और घरेलू सुविधाओं का मूल्यांकन करने के निर्देश दिए गए हैं।
जांच में सामने आया है कि कुछ लोगों ने:
- PPP में सालाना आय ₹1 लाख या उससे कम दिखाई है
- जबकि उनके पास महंगी गाड़ियां, खेत, बड़ी कोठी, और जेवरात हैं
- कुछ मामलों में लोगों ने खेत में बनी झोंपड़ी (ढाणी) को ही पक्का घर बताकर बीपीएल सूची में नाम डलवा रखा है
करोड़ों रुपये का नुकसान पहुंचा रहे हैं अपात्र लोग
प्रशासन के अधिकारियों का कहना है कि ये अपात्र लोग:
- खुद तो सरकारी योजनाओं का फायदा उठा ही रहे हैं
- साथ ही वास्तविक गरीबों का हक भी छीन रहे हैं
- सरकार पर आर्थिक बोझ बढ़ा रहे हैं और योजनाओं की शुद्धता को खराब कर रहे हैं
कुछ मामलों में ऐसे लोग भी पाए गए जिनकी वार्षिक आय ₹5 से ₹6 लाख थी, फिर भी वे BPL कार्ड बनवाकर मुफ्त राशन, इलाज और छात्रवृत्ति जैसी सुविधाएं उठा रहे थे।
रिपोर्ट भेजी जा रही है एडीसी कार्यालय को
जांच के बाद जो रिपोर्ट तैयार की जा रही है, उसे जिलाधिकारियों (ADC) के माध्यम से फूड एंड सप्लाई विभाग को भेजा जा रहा है। संबंधित अधिकारियों को निर्देश दिए गए हैं कि:
- फर्जी बीपीएल कार्ड धारकों की सूची तैयार की जाए
- उन्हें सूची से हटाया जाए
- और यदि जरूरत पड़ी तो उनके खिलाफ विधिक कार्रवाई भी की जाए
सरकार की चेतावनी अब माफ नहीं होगा फर्जीवाड़ा
हरियाणा सरकार ने साफ कर दिया है कि:
“जो भी व्यक्ति फर्जी दस्तावेजों के आधार पर सरकारी योजनाओं का लाभ ले रहा है, उसकी पहचान कर कानूनी कार्रवाई की जाएगी।”
सरकार का कहना है कि बीपीएल कार्ड लिस्ट की शुद्धता बनाए रखना जरूरी है, ताकि योजनाओं का सही लाभ उन लोगों तक पहुंचे जो वास्तव में इसके हकदार हैं।
अब नहीं चलेगा ‘नकली गरीबी’ का नाटक
हरियाणा में सरकार की यह सख्ती वाकई सराहनीय है। फर्जीवाड़ा कर बीपीएल कार्ड बनवाने वाले लोगों को अब बच पाना मुश्किल होगा। सरकार की डिजिटल निगरानी और PPP डेटा क्रॉस वेरिफिकेशन के चलते अब नकली गरीबों की पोल खुल रही है। अगर आप सच में गरीब हैं, तो सरकार आपके साथ है। लेकिन अगर आपने फर्जी जानकारी देकर सरकारी योजनाओं का गलत फायदा उठाया है, तो अब आपको जवाब देना ही होगा।