Vehicle Drivers: पंजाब के वाहन चालकों के लिए एक जरूरी खबर सामने आई है. पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट के निर्देशों के तहत अब राज्य के विभिन्न जिलों में स्कूल वाहनों की सख्त जांच की जा रही है. इसी क्रम में फिरोजपुर छावनी में जिला बाल सुरक्षा यूनिट और टास्क फोर्स टीम द्वारा संयुक्त चेकिंग अभियान चलाया गया. इस चेकिंग का मकसद था कि बच्चों को स्कूल ले जाने वाले वाहनों में सुरक्षा मानकों का पूरा पालन हो रहा है या नहीं.
चेकिंग के दौरान जो वाहन सुरक्षित स्कूल वाहन नीति (Safe School Vehicle Policy) की शर्तों को पूरा नहीं कर पा रहे थे. उन 13 स्कूल वाहनों के चालान किए गए. अधिकारियों ने साफ कर दिया है कि जो भी वाहन मानकों का पालन नहीं करेगा, उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी.
सुरक्षित स्कूल वाहन नीति क्या है?
सुरक्षित स्कूल वाहन नीति को लागू करने का उद्देश्य यह है कि स्कूली बच्चों को सुरक्षित, आरामदायक और भरोसेमंद परिवहन सुविधा मिल सके. इस नीति के तहत स्कूल वाहनों को कुछ निर्धारित सुरक्षा मानकों का पालन करना अनिवार्य है:
- वाहन में सीसीटीवी कैमरा होना जरूरी है
- सभी खिड़कियों पर लोहे की ग्रिल होनी चाहिए
- वाहन में प्राथमिक उपचार बॉक्स (First Aid Box) होना चाहिए
- वाहन में एक महिला कंडक्टर या अटेंडेंट की उपस्थिति जरूरी है
- वाहन से जुड़े सभी कागजात (फिटनेस, बीमा, परमिट आदि) अद्यतन होने चाहिए
- वाहन चालक के पास मान्य ड्राइविंग लाइसेंस होना अनिवार्य है
- सभी सीटों पर सीट बेल्ट या उचित सुरक्षा प्रबंध होने चाहिए
इन सभी शर्तों को नजरअंदाज करने वाले वाहन चालकों को अब कानूनी दायरे में लाया जाएगा.
13 स्कूली वाहनों के खिलाफ कार्रवाई
फिरोजपुर में की गई जांच के दौरान यह पाया गया कि कई स्कूली वाहन निम्नलिखित खामियों के साथ चल रहे थे:
- कुछ वाहनों में सीसीटीवी कैमरे नहीं लगे थे
- कई वाहनों की खिड़कियों पर सुरक्षा ग्रिल नहीं थी
- महिला अटेंडेंट की गैर-मौजूदगी देखी गई
- कुछ वाहन फिटनेस सर्टिफिकेट और बीमा जैसे दस्तावेजों के बिना चल रहे थे
- कई वाहनों की ओवरलोडिंग यानी तय सीमा से ज्यादा बच्चों को बैठाया गया था
इन कमियों के चलते इन स्कूल वाहनों के चालकों के चालान काटे गए और उन्हें चेतावनी दी गई कि अगली बार दोबारा ऐसी गलती पर सीधे लाइसेंस रद्द करने की सिफारिश की जाएगी.
बच्चों की सुरक्षा के प्रति नहीं होगी कोई समझौता
इस मौके पर जिला बाल सुरक्षा अधिकारी बलजिंदर कौर ने कहा कि बच्चों की सुरक्षा से संबंधित मामलों में किसी प्रकार की लापरवाही को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा. उन्होंने कहा, “हम समय-समय पर स्कूल प्रिंसिपलों और परिवहन चालकों को यह सूचना देते रहते हैं कि वे सुरक्षित स्कूल वाहन नीति का सख्ती से पालन करें.”
बलजिंदर कौर ने यह भी स्पष्ट किया कि स्कूल वाहनों में जरूरी सुविधाएं जैसे सीसीटीवी, प्राथमिक उपचार बॉक्स और महिला कंडक्टर आदि का होना अनिवार्य है. साथ ही वाहन के सभी दस्तावेज ताजगी और वैध होने चाहिए.
अभिभावकों की भी है जिम्मेदारी
जहां सरकार और प्रशासन बच्चों की सुरक्षा को लेकर गंभीर हैं. वहीं अभिभावकों की भी जिम्मेदारी बनती है कि वे यह सुनिश्चित करें कि उनका बच्चा जिस वाहन से स्कूल जा रहा है, वह पूरी तरह सुरक्षित है या नहीं.
अभिभावक निम्न बातों की जांच अवश्य करें:
- क्या स्कूल वाहन में सीसीटीवी कैमरा लगा है?
- क्या वाहन में महिला अटेंडेंट है?
- क्या खिड़कियों पर सुरक्षा ग्रिल मौजूद हैं?
- क्या ड्राइवर और कंडक्टर यूनिफॉर्म में हैं और आईडी कार्ड लगा हुआ है?
- क्या वाहन अधिक भीड़ के साथ चल रहा है?
इन छोटी-छोटी बातों को देखकर ही हम अपने बच्चों की यात्रा को अधिक सुरक्षित बना सकते हैं.
नियमों का उल्लंघन करने पर होगी सख्त कानूनी कार्रवाई
जिला प्रशासन की ओर से सभी स्कूलों को यह सख्त चेतावनी दी गई है कि यदि कोई भी स्कूल या उसका वाहन चालक नियमों की अवहेलना करता पाया गया, तो उसके खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी. इसके तहत:
- वाहन का चालान किया जाएगा
- परमिट निलंबित किया जा सकता है
- वाहन को जब्त किया जा सकता है
- ड्राइवर के लाइसेंस को रद्द किया जा सकता है
यह सभी कदम बच्चों की सुरक्षा को सर्वोपरि रखने के उद्देश्य से उठाए जा रहे हैं.