Haryana News: हरियाणा के पानीपत जिले में किसानों के लिए बड़ा आदेश जारी हुआ है। जिला प्रशासन ने 15 जून 2025 तक धान की रोपाई (Paddy Plantation) करने पर सख्त प्रतिबंध लगा दिया है। इस फैसले की जानकारी खुद उपायुक्त (DC) वीरेंद्र दहिया ने दी है। डीसी ने साफ कहा है कि यदि कोई भी किसान तय समय से पहले धान की रोपाई करता पाया गया, तो उसके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी।
समय से पहले रोपाई करने पर फसल होगी नष्ट किसान से वसूले जाएंगे खर्चे
डीसी वीरेंद्र दहिया ने चेतावनी दी है कि अगर कोई किसान आदेश का उल्लंघन करता है तो न सिर्फ उसकी फसल नष्ट की जाएगी बल्कि उसे इस नष्टिकरण का खर्च भी खुद उठाना पड़ेगा। इसके लिए प्रशासन ने विशेष निर्देश जारी किए हैं ताकि किसानों को पहले से पूरी तरह अवगत करा दिया जाए।
संयुक्त टीमें पुलिस के साथ करेंगी निगरानी
प्रशासन ने आदेश को लागू करवाने के लिए खास तैयारी की है। ग्राम सचिव, पटवारी और कृषि अधिकारी की संयुक्त टीमें बनाई गई हैं। इन टीमों को पुलिस बल के साथ मिलकर खेतों का निरीक्षण करने और जरूरत पड़ने पर समय से पहले बोई गई फसल को नष्ट करने का आदेश दिया गया है। अधिकारियों को निर्देशित किया गया है कि किसी भी स्तर पर लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी।
भूजल स्तर को बचाने के लिए उठाया गया कदम
यह सख्त कदम भूजल स्तर (Ground Water Level) को बचाने के मकसद से उठाया गया है। दरअसल, समय से पहले धान की रोपाई से खेतों में जरूरत से ज्यादा पानी खर्च होता है, जिससे भूजल तेजी से नीचे चला जाता है। इस कारण आने वाले वर्षों में पानी की भारी कमी का खतरा बढ़ जाता है। सरकार का मकसद है कि खेती को पानी की उपलब्धता के साथ संतुलित किया जाए ताकि भविष्य में भी जल संकट से बचा जा सके।
पानीपत जिले में लगभग 90,000 हेक्टेयर में होती है धान की खेती
डीसी दहिया के अनुसार पानीपत जिले में लगभग 90,000 हेक्टेयर क्षेत्र में हर साल धान की बिजाई की जाती है। इतने बड़े पैमाने पर खेती के कारण पानी की मांग बहुत अधिक हो जाती है। इसलिए प्रशासन ने इस बार सख्ती से 15 जून से पहले किसी भी हालत में धान की रोपाई पर रोक लगाने का फैसला किया है। किसानों को भी पहले ही स्पष्ट दिशा-निर्देश दे दिए गए हैं।
धान की जल्दी रोपाई से बढ़ता है जल संकट
विशेषज्ञों के अनुसार, यदि धान की रोपाई समय से पहले की जाती है तो खेतों को बार-बार पानी देने की जरूरत पड़ती है, जिससे जमीन का पानी खत्म होने लगता है। गर्मी के महीनों में बारिश न होने के कारण भी भूजल स्तर गिरने का खतरा बढ़ जाता है। इसीलिए सरकार और कृषि विभाग ने तय किया है कि किसानों को 15 जून से पहले धान की बिजाई नहीं करनी चाहिए।
कृषि विभाग ने गठित की विशेष टीमें
कृषि विभाग ने इस आदेश को सफलतापूर्वक लागू करने के लिए अलग-अलग स्तर पर निरीक्षण करने वाली टीमें बनाई हैं। ये टीमें खेतों का दौरा करेंगी और समय-समय पर निगरानी करेंगी। किसानों को बार-बार जागरूक किया जा रहा है कि वे सरकार के आदेश का पालन करें, अन्यथा उन पर आर्थिक दंड और अन्य सजा का प्रावधान किया जाएगा।
आदेश न मानने पर जुर्माने और सजा का प्रावधान
अगर कोई किसान 15 जून से पहले धान की रोपाई करते हुए पकड़ा जाता है, तो उस पर नियमानुसार जुर्माना लगाया जाएगा। साथ ही, खेत में खड़ी फसल को प्रशासनिक आदेश से नष्ट किया जा सकता है। इस प्रक्रिया में लगने वाला खर्च भी किसान से वसूल किया जाएगा। यह निर्णय इसलिए लिया गया है ताकि किसानों में अनुशासन बना रहे और पर्यावरणीय संतुलन भी कायम रहे।
किसानों से नैतिक जिम्मेदारी निभाने की अपील
डीसी वीरेंद्र दहिया ने सभी किसानों से अपील करते हुए कहा है कि वे प्रशासन के आदेश का सम्मान करें और नैतिक जिम्मेदारी निभाते हुए 15 जून के बाद ही धान की रोपाई करें। इससे न केवल उनका खुद का भला होगा, बल्कि आने वाली पीढ़ियों के लिए भी पानी का भंडार सुरक्षित रहेगा।
जल संरक्षण के लिए जरूरी है अनुशासन
पानीपत में धान की रोपाई को लेकर लगाए गए प्रतिबंध को केवल सख्त आदेश के तौर पर नहीं देखना चाहिए, बल्कि इसे जल संरक्षण (Water Conservation) के लिए जरूरी कदम समझना चाहिए। समय पर धान की खेती करने से न केवल किसानों का फायदा होगा बल्कि आने वाले समय में पानी की उपलब्धता भी बनी रहेगी। इसलिए जरूरी है कि सभी किसान मिलकर इस अभियान में सहयोग करें और 15 जून के बाद ही धान की बिजाई शुरू करें।