CNG Price Hike: मुंबई और उसके मेट्रोपॉलिटन रीजन (MMR) के लोगों को 9 अप्रैल 2025 की सुबह एक नई महंगाई की मार झेलनी पड़ी. महानगर गैस लिमिटेड (MGL) ने CNG और PNG दोनों की कीमतों में इजाफा कर दिया है. अब CNG की कीमत ₹79.50 प्रति किलो हो गई है. यानी ₹1.50 की सीधी बढ़ोतरी. वहीं पाइपलाइन से मिलने वाली रसोई गैस (PNG) भी ₹1 महंगी होकर ₹49 प्रति यूनिट हो गई है.
छह महीने में चौथी बार महंगी हुई CNG
पिछले छह महीनों की बात करें तो यह चौथी बार है जब CNG के दाम बढ़ाए गए हैं. नवंबर में दो बार दिसंबर में एक बार और अब अप्रैल में एक और बढ़ोतरी कर दी गई है. इससे पहले 1 फरवरी को भी CNG की बढ़ती कीमतों के चलते ऑटो और टैक्सी वालों के किराए में ₹3 की बढ़ोतरी की गई थी. लगातार इस तरह से दाम बढ़ने से आम जनता के बजट पर बड़ा असर पड़ रहा है.
MGL की सफाई– ‘फिर भी सस्ती है हमारी गैस’
दाम बढ़ाने के बाद MGL की ओर से सफाई आई है कि यह बढ़ोतरी जरूरी थी. कंपनी का कहना है कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर घरेलू गैस की कीमतों में तेजी और डॉलर के मुकाबले रुपये की कमजोरी की वजह से यह कदम उठाना पड़ा. हालांकि MGL का यह भी दावा है कि CNG अब भी पेट्रोल से 47% और डीजल से 12% सस्ती है. कंपनी की यह दलील आम आदमी को शायद राहत नहीं दे सके. लेकिन वे ये समझाना चाहते हैं कि हालात उनके हाथ में नहीं हैं.
5 लाख से ज़्यादा गाड़ियां CNG पर दौड़ रही हैं
मुंबई मेट्रोपॉलिटन रीजन में MGL के 358 CNG स्टेशन हैं और करीब 5 लाख निजी गाड़ियां CNG पर चलती हैं. इसके अलावा 3 लाख से ज्यादा ऑटो रिक्शा और 20,000 टैक्सियां भी इसी गैस पर निर्भर हैं. पेट्रोल-डीज़ल की बढ़ती कीमतों के बीच लोगों ने CNG को सस्ता और पर्यावरण के लिए बेहतर विकल्प मानते हुए अपनाया था. लेकिन अब CNG खुद महंगी होती जा रही है.
रसोई का बजट भी गड़बड़ाया
महानगर गैस लिमिटेड ने पाइपलाइन से घरों में सप्लाई होने वाली गैस (PNG) के दाम भी ₹1 प्रति यूनिट बढ़ा दिए हैं. अब एक यूनिट PNG के लिए लोगों को ₹49 चुकाने होंगे. इस बढ़ोतरी से करीब 24 लाख घरों को झटका लगा है जो पाइप से मिलने वाली रसोई गैस पर निर्भर हैं. महंगाई के इस दौर में PNG को भले ही सुरक्षित और पर्यावरण के लिए अच्छा बताया जाए, लेकिन इसका असर सीधे रसोई पर पड़ रहा है.
एलपीजी भी नहीं दे रहा राहत, सब्सिडी वाले सिलेंडर भी महंगे
अगर आपने सोचा कि PNG की जगह एलपीजी सिलेंडर खरीद लेंगे तो वहां भी राहत नहीं है. 8 अप्रैल को सब्सिडी वाले LPG सिलेंडर की कीमत में ₹50 की बढ़ोतरी हुई है. अब मुंबई में एक घरेलू एलपीजी सिलेंडर की कीमत ₹1,000 के पार पहुंच चुकी है. यानी अब ना तो सिलेंडर सस्ता है और ना ही पाइपलाइन से मिलने वाली गैस. हर तरफ से आम आदमी की जेब पर असर पड़ रहा है.
किसे कितना झटका लगा?
- ऑटो और टैक्सी ड्राइवर: CNG के महंगे होने से उनका मुनाफा घटा है और किराया बढ़ाने की नौबत आ सकती है.
- मध्यम वर्गीय परिवार: PNG और LPG दोनों के महंगे होने से रसोई का खर्च बढ़ गया है.
- नौकरीपेशा लोग: पहले पेट्रोल-डीजल से बचने के लिए CNG गाड़ी खरीदी थी. अब वही खर्चीली हो गई है.
- कम आय वर्ग: जिनके लिए हर महीने का बजट पहले से ही टाइट होता है. अब उन्हें हर चीज़ महंगी मिल रही है.
CNG को लेकर लोग अब सोच में पड़े
जिस उम्मीद से लोगों ने पेट्रोल-डीजल छोड़कर CNG की गाड़ियां खरीदी थीं. अब वही लोग परेशान हैं. CNG की कीमतों में लगातार बढ़ोतरी से अब यह भी सस्ता विकल्प नहीं रहा. ऑटो ड्राइवरों से लेकर प्राइवेट गाड़ी चालकों तक सभी इस फैसले से नाखुश हैं. लोग अब दोबारा पेट्रोल या इलेक्ट्रिक विकल्पों की तरफ देखने लगे हैं.
सवाल ये कि राहत कब मिलेगी?
तेल और गैस की कीमतों का सीधा असर आम आदमी की जेब पर पड़ता है. सरकार और कंपनियां हमेशा वैश्विक बाजार और मुद्रा विनिमय दरों का हवाला देती हैं. लेकिन आम जनता को सिर्फ इतना दिखता है कि हर महीने खर्च बढ़ रहा है. सवाल यही है कि क्या कभी ऐसी भी कोई नीति बनेगी, जो इन जरूरत की चीजों को स्थिर रख सके?