Home Loan Prepayment: भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) बुधवार को नई मौद्रिक नीति (Monetary Policy) का ऐलान करने वाला है. आम उम्मीद है कि इस बार RBI रेपो रेट (Repo Rate) में 0.25% तक की कटौती कर सकता है. अगर ऐसा होता है, तो इसका सीधा फायदा होम लोन लेने वालों को मिलेगा. ब्याज दरें घटेंगी और EMI कम होगी. ऐसे में जिन लोगों ने होम लोन ले रखा है या लेने की सोच रहे हैं. उनके लिए यह एक महत्वपूर्ण मौका है.
क्या होता है रेपो रेट और इसका लोन से क्या संबंध है?
रेपो रेट वह दर है. जिस पर RBI देश के बैंकों को कर्ज देता है.
- जब रेपो रेट घटता है, तो बैंक भी ग्राहकों को सस्ता लोन देना शुरू कर देते हैं.
- इससे होम लोन, पर्सनल लोन, ऑटो लोन जैसी सुविधाओं पर लगने वाला ब्याज कम हो जाता है.
अप्रैल 2025 तक होम लोन की ब्याज दरें 8.25% से 10.25% के बीच चल रही हैं. अगर RBI रेपो रेट घटाता है, तो ब्याज दरें भी घट सकती हैं.
EMI कम करने का स्मार्ट तरीका: प्री-पेमेंट
होम लोन प्री-पेमेंट यानी तय EMI के अलावा समय-समय पर अतिरिक्त रकम जमा करना. यह तरीका बेहद स्मार्ट और फायदेमंद है.
- जब आप EMI के अलावा अतिरिक्त रकम जमा करते हैं, तो यह सीधा आपके प्रिंसिपल अमाउंट (Principal Amount) में कटौती करता है.
- इससे आपके लोन का टेन्योर (अवधि) भी कम हो जाता है.
- और सबसे बड़ी बात, इससे ब्याज का बोझ काफी घट जाता है.
जानें कैसे बचता है लाखों रुपए का ब्याज
मान लीजिए आपने 20 लाख का लोन 8.5% की ब्याज दर पर 20 साल के लिए लिया है. इसपर कुल ब्याज करीब 21 लाख रुपये तक हो सकता है. अगर आप हर साल सिर्फ 1 लाख रुपये प्री-पेमेंट करते हैं, तो आप न सिर्फ लोन की अवधि घटा सकते हैं. बल्कि करीब 4-5 लाख रुपये का ब्याज भी बचा सकते हैं. यह छोटी-छोटी बचत आपके फाइनेंशियल भविष्य के लिए बड़ा असर डाल सकती है.
फ्लोटिंग रेट होम लोन पर नहीं लगती पेनाल्टी
अगर आपका होम लोन फ्लोटिंग रेट (Floating Rate) पर है, तो आपको प्री-पेमेंट करने पर कोई अतिरिक्त चार्ज या पेनाल्टी नहीं देनी होती.
- फ्लोटिंग रेट समय-समय पर बदलती रहती है.
- यह मुख्यतः RBI के रेपो रेट से जुड़ी होती है.
- जैसे ही RBI रेपो रेट में बदलाव करता है, आपकी EMI भी प्रभावित होती है.
इसलिए फ्लोटिंग रेट वाले लोन पर प्री-पेमेंट करना और भी फायदेमंद हो जाता है.
सिबिल स्कोर सुधरेगा
प्री-पेमेंट करने से केवल EMI और ब्याज ही कम नहीं होता. बल्कि इससे आपका सिबिल स्कोर (CIBIL Score) भी बेहतर होता है.
- सिबिल स्कोर एक क्रेडिट रेटिंग सिस्टम है जो यह बताता है कि आप कितना भरोसेमंद उधारकर्ता हैं.
- अगर आपका स्कोर 750 से ऊपर है, तो बैंक आसानी से लोन देने को तैयार होते हैं.
- समय से EMI भरना और बीच-बीच में प्री-पेमेंट करना सिबिल स्कोर को तेजी से बढ़ाता है.
क्यों जरूरी है प्री-पेमेंट की योजना बनाना?
होम लोन एक लंबी अवधि का वित्तीय दायित्व होता है. EMI भले ही छोटी लगे. लेकिन कुल मिलाकर लोन चुकाते-चुकाते ब्याज के रूप में दोगुनी रकम चली जाती है.
इसलिए जरूरी है कि:
- आप बोनस या सेविंग का हिस्सा प्री-पेमेंट में लगाएं.
- हर साल या 6 महीने में एक बार अतिरिक्त रकम जमा करें.
- इससे आपकी EMI भी घटेगी और टेन्योर भी.
यह आदत धीरे-धीरे वित्तीय आजादी (Financial Freedom) की ओर ले जाती है.
EMI कम करें या लोन की अवधि घटाएं?
प्री-पेमेंट करते वक्त बैंक आपको दो विकल्प देता है:
- EMI कम कर लें
- लोन की अवधि कम करवा लें
विशेषज्ञों की राय में लोन की अवधि कम करवाना ज्यादा फायदेमंद होता है. क्योंकि इससे आप ब्याज में बड़ी बचत करते हैं. हालांकि अगर आपकी मासिक आय सीमित है, तो EMI घटवाना भी अच्छा विकल्प हो सकता है.
विशेषज्ञों की राय क्या कहती है?
मिंट की रिपोर्ट के अनुसार आधार हाउसिंग फाइनेंस लिमिटेड के एमडी और सीईओ ऋषि आनंद का कहना है: “होम लोन का प्री-पेमेंट एक बेहद असरदार और समझदारी भरा कदम है. यह आपके फाइनेंशियल हेल्थ को मजबूत करता है और भविष्य में उधारी के जोखिम को कम करता है.”