MNREGA Timings Changed: राजस्थान में गर्मी का प्रकोप लगातार बढ़ता जा रहा है. ऐसे में महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (मनरेगा) के तहत कार्यरत श्रमिकों की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए सरकार ने काम के समय में बदलाव किया है. अब श्रमिकों को भीषण गर्मी के दोपहर वाले समय में कार्य नहीं करना होगा. इसके बजाय कार्य सुबह 6 बजे से दोपहर 1 बजे तक किया जाएगा. यह व्यवस्था 15 जुलाई 2025 या मानसून आने तक जो पहले हो, तब तक प्रभावी रहेगी.
8 घंटे की जगह 7 घंटे बिना विश्राम काल के काम
गौरतलब है कि मनरेगा अधिनियम 2005 की अनुसूची-1 के पैरा 19 के अनुसार कार्य की अवधि 8 घंटे (1 घंटे विश्राम समेत) निर्धारित की गई है. लेकिन गर्मी के बढ़ते प्रकोप को देखते हुए इस अवधि में बदलाव किया गया है. अब यह काम विश्राम काल रहित रहेगा यानी श्रमिक लगातार 7 घंटे काम करेंगे, ताकि वह दोपहर की चिलचिलाती धूप से पहले घर लौट सकें.
जोधपुर जिले में हुआ आदेश लागू
जोधपुर जिले के अतिरिक्त जिला कार्यक्रम समन्वयक एवं मुख्य कार्यकारी अधिकारी डॉ. धीरज कुमार सिंह ने बताया कि यह निर्णय राज्य सरकार के ग्रामीण विकास एवं पंचायती राज विभाग जयपुर के निर्देशानुसार लिया गया है. बदलते मौसम और स्वास्थ्य संबंधी जोखिमों को ध्यान में रखते हुए यह समय बदलाव किया गया है. संभावना है कि जरूरत पड़ने पर यह व्यवस्था अन्य जिलों में भी लागू की जा सकती है.
समय से पहले टास्क पूरा करने पर छुट्टी की सुविधा भी उपलब्ध
सरकार ने श्रमिकों के परिश्रम को मान्यता देते हुए एक और सहूलियत दी है. अगर कोई श्रमिक समूह निर्धारित कार्य (टास्क) समय से पहले पूरा कर लेता है, तो वे:
- मेट के पास उपलब्ध मस्टररोल में टास्क प्रपत्र भरवाकर
- समूह मुखिया के हस्ताक्षर कराकर
- कार्यस्थल छोड़ सकते हैं
इस व्यवस्था से श्रमिकों को सिर्फ समय नहीं, बल्कि श्रम के आधार पर राहत मिल रही है, जो कि एक प्रगतिशील कदम है.
मानवता के दृष्टिकोण से लिया गया यह निर्णय
राजस्थान में गर्मियों के दौरान तापमान 45 डिग्री से ऊपर चला जाता है. ऐसे में खुले आसमान के नीचे मनरेगा कार्यों में लगे श्रमिकों के लिए यह समय बेहद कठिन होता है. यह फैसला सरकार की श्रमिकों के प्रति संवेदनशीलता और मानवता की सोच को दर्शाता है. इस निर्णय से न केवल स्वास्थ्य जोखिम कम होंगे, बल्कि श्रमिकों की काम के प्रति उत्पादकता और संतुष्टि भी बढ़ेगी.
मनरेगा ग्रामीण भारत की जीवनरेखा
मनरेगा योजना का मुख्य उद्देश्य ग्रामीण क्षेत्र में 100 दिन का रोजगार सुनिश्चित करना है. इस योजना के तहत गांवों में:
- तालाब गहरीकरण
- सड़क निर्माण
- वृक्षारोपण
- नहर सफाई
- जल संरक्षण जैसे कार्य कराए जाते हैं.
इस योजना से लाखों ग्रामीण परिवारों को रोजगार और आर्थिक स्थिरता मिलती है.
गर्मी में काम करने वाले श्रमिकों की चुनौतियां
गर्मी के मौसम में श्रमिकों को कई समस्याओं का सामना करना पड़ता है जैसे:
- डिहाइड्रेशन (निर्जलीकरण)
- लू लगना
- थकावट और चक्कर आना
- हीट स्ट्रोक
ऐसी स्थिति में यदि काम का समय 11 बजे या 12 बजे तक होता, तो यह श्रमिकों के स्वास्थ्य के लिए घातक हो सकता था.
श्रमिकों को जागरूक करना भी जरूरी
सरकार के साथ-साथ स्थानीय पंचायत और ग्राम स्तर पर भी श्रमिकों को जागरूक करना जरूरी है कि वे:
- सिर पर टोपी या गमछा बांधें
- हल्के और सूती कपड़े पहनें
- पर्याप्त मात्रा में पानी साथ रखें
- जरूरत पड़ने पर तुरंत विश्राम करें
सिर्फ नियम बनाना पर्याप्त नहीं, उनका पालन भी स्थानीय निगरानी व्यवस्था द्वारा सुनिश्चित किया जाना चाहिए.
समय बदलाव से विकास कार्यों पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा
हालांकि कार्य समय को सुबह किया गया है. लेकिन इससे विकास कार्यों की गति पर कोई असर नहीं पड़ेगा. श्रमिकों को मिले समय में:
- टास्क आधारित कार्य पूरे करने की योजना
- सुपरविजन की निरंतर व्यवस्था
- मस्टररोल में समयबद्ध एंट्री
इन सबका ध्यान रखा जाएगा. जिससे काम की गुणवत्ता और पारदर्शिता बनी रहे.