Electricity Bill: अप्रैल महीने में बिजली उपभोक्ताओं को 1.24 प्रतिशत महंगी बिजली का झटका झेलना पड़ा था, लेकिन मई में उन्हें राहत मिलने जा रही है। उत्तर प्रदेश की बिजली कंपनियों ने घोषणा की है कि मई माह में बिजली दरों में दो प्रतिशत की कमी की जाएगी, जिससे करीब 3.45 करोड़ उपभोक्ताओं को लगभग 170 करोड़ रुपये का सीधा लाभ मिलेगा।
क्यों घट रही है बिजली दर जानिए वजह
बिजली कंपनियों द्वारा दी गई जानकारी के अनुसार, फरवरी महीने में बिजली खरीद लागत में कमी आने के कारण मई में दरें कम की जा रही हैं। वहीं अप्रैल में बिजली दरों में बढ़ोतरी जनवरी महीने में बढ़ी बिजली खरीद लागत की वजह से की गई थी। यानी अब बिजली का खर्च हर महीने बदलेगा, जो उस माह में कंपनियों के खर्च पर आधारित होगा।
क्या है फ्यूल सरचार्ज और इसका असर ?
फ्यूल एंड पावर परचेज एडजस्टमेंट सरचार्ज (Fuel Surcharge) एक ऐसा शुल्क होता है जो बिजली कंपनियों को अतिरिक्त खर्च की भरपाई के लिए उपभोक्ताओं से वसूला जाता है। मल्टी ईयर टैरिफ रेगुलेशन-2025 के तहत यूपी विद्युत नियामक आयोग ने बिजली कंपनियों को हर महीने फ्यूल सरचार्ज तय करने की अनुमति दे दी है।
मई में दो प्रतिशत सस्ती होगी बिजली कितना होगा फायदा ?
बिजली कंपनियों के मुताबिक, फरवरी में बिजली खरीद खर्च में 170 करोड़ रुपये की कमी आई थी। इसी वजह से मई में बिजली की दरें घटाई जा रही हैं। उदाहरण के लिए, अगर मार्च में किसी उपभोक्ता का बिल 1000 रुपये आया था, तो अप्रैल में उसे 12.40 रुपये अधिक देना पड़ा था। लेकिन मई में उसे उसी उपभोग के लिए करीब 20 रुपये कम देने होंगे।
बिजली की दरें तय कैसे होती हैं ?
बिजली कंपनियां हर साल वार्षिक राजस्व आवश्यकता (ARR) आयोग को सौंपती हैं, जिसमें उनके संभावित खर्च और राजस्व का अनुमान होता है। इसी ARR के आधार पर टैरिफ निर्धारण प्रक्रिया की जाती है। इस साल 2025-26 के लिए यह प्रक्रिया चल रही है, जिसमें 2-3 महीनों में औसतन 10 प्रतिशत तक बिजली की दरें बढ़ सकती हैं।
2019 के बाद पहली बार हुई बढ़ोतरी
गौर करने वाली बात यह है कि साल 2019 के बाद से उत्तर प्रदेश में बिजली की दरें स्थिर बनी हुई थीं। लेकिन अप्रैल 2025 में पहली बार फ्यूल सरचार्ज के तहत बिजली 1.24% महंगी की गई। इसके चलते उपभोक्ताओं में नाराजगी भी देखी गई। हालांकि अब मई में दो प्रतिशत तक राहत मिलने की खबर से लोगों को थोड़ी राहत जरूर मिलेगी।
उपभोक्ता परिषद की मांग और सस्ती हो बिजली
उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा ने कहा है कि फरवरी में खर्च कम होने के बावजूद मई में केवल दो प्रतिशत बिजली सस्ती की गई है, जबकि यह और भी ज्यादा सस्ती होनी चाहिए। परिषद इस पूरे मामले की स्वतंत्र जांच करेगी ताकि उपभोक्ताओं को किसी तरह का नुकसान न हो।
जून में फिर बदलेगा बिजली खर्च मार्च के आंकड़ों पर निर्भर
जून में बिजली उपभोक्ताओं का खर्च कितना होगा, यह मार्च महीने में बिजली कंपनियों के खर्च पर निर्भर करेगा। अगर मार्च में बिजली खरीद महंगी रही है, तो जून में फिर से बिजली दरों में बढ़ोतरी हो सकती है। यानी अब हर उपभोक्ता को हर महीने बिजली खर्च पर नजर रखनी होगी।
क्यों जरूरी है यह नई व्यवस्था ?
इस नई व्यवस्था से बिजली कंपनियों को लचीलापन और पारदर्शिता मिलती है। पहले कंपनियां साल में एक बार दरें तय करती थीं, जिससे उन्हें अपने घाटे की भरपाई में समय लगता था। अब हर महीने फ्यूल सरचार्ज के माध्यम से वे अपने बढ़े हुए खर्च की भरपाई कर सकती हैं। वहीं, उपभोक्ताओं को भी कभी-कभी सस्ती बिजली मिलने का लाभ मिल सकता है।
उपभोक्ताओं को क्या करना चाहिए ?
- हर महीने बिल की जानकारी चेक करें – अब बिल हर महीने अलग होगा, इसलिए समय पर जानकारी रखना जरूरी है।
- बिजली उपयोग में बचत करें – गर्मियों में अधिक उपयोग होता है, इसीलिए जहां संभव हो, बिजली की बचत करें।
- फ्यूल सरचार्ज स्लिप पर ध्यान दें – बिल के साथ दिए गए फ्यूल सरचार्ज डिटेल को समझें और जरूरत होने पर शिकायत भी दर्ज करें।
राहत की खबर लेकिन आगे भी सतर्क रहना जरूरी
अप्रैल में बिजली महंगी होने के बाद मई में दो प्रतिशत राहत मिलना उपभोक्ताओं के लिए अच्छी खबर है। हालांकि यह राहत स्थायी नहीं, बल्कि महीने दर महीने होने वाले खर्च और सरचार्ज पर आधारित है। ऐसे में जरूरी है कि उपभोक्ता जागरूक रहें और बिजली की खपत को संतुलित रखकर बढ़ते खर्च पर नियंत्रण रखें।