Gold Silver Price: अमेरिका और चीन के बीच व्यापार युद्ध की आंच एक बार फिर तेज होती दिख रही है. अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के टैरिफ नीति के बयान के बाद ग्लोबल इकोनॉमी में अनिश्चितता बढ़ गई है. इस तनाव के बीच सोना एक बार फिर निवेशकों के लिए सुरक्षित विकल्प बनकर उभरा है. वैश्विक बाजार में सोने की कीमतें 3200 डॉलर प्रति औंस को पार कर गई हैं, वहीं भारत में MCX पर सोना 94,000 रुपये प्रति 10 ग्राम के करीब पहुंच गया है.
गोल्डमैन सैश ने दिया नया अनुमान, 4500 डॉलर तक जा सकता है सोना
गोल्डमैन सैश, जो कि एक प्रमुख वैश्विक निवेश बैंक है, ने एक नई रिपोर्ट में दावा किया है कि अगर व्यापारिक तनाव और वैश्विक मंदी की स्थितियां बनी रहीं, तो 2025 के अंत तक गोल्ड की कीमतें 4500 डॉलर प्रति औंस तक पहुंच सकती हैं. यह वर्तमान स्तर से लगभग 38-40 प्रतिशत की बढ़त को दर्शाता है. रिपोर्ट के अनुसार, यदि परिस्थितियां सामान्य भी रहीं, तब भी गोल्ड की कीमतें 3700 डॉलर प्रति औंस तक जाने की संभावना है.
तीसरी बार बढ़ाया गया गोल्ड का टारगेट
गौरतलब है कि गोल्डमैन सैश ने 2025 के लिए गोल्ड के टारगेट को तीसरी बार संशोधित करते हुए ऊपर की ओर किया है. इससे पहले यह टारगेट 3300 डॉलर प्रति औंस निर्धारित किया गया था. विशेषज्ञों का मानना है कि अमेरिका-चीन व्यापार तनाव, डॉलर की स्थिति और ब्याज दरों की अनिश्चितता जैसे फैक्टर निवेशकों को सोने की ओर खींच रहे हैं.
बीते सप्ताह में 6.5% उछला सोना, कोविड के बाद सबसे बड़ी साप्ताहिक तेजी
पिछले एक हफ्ते में सोने की कीमतों में 6.5 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई है, जो कोविड-19 के बाद सबसे मजबूत साप्ताहिक प्रदर्शन है. यह तेजी ट्रंप के रेसिप्रोकल टैरिफ बयान के बाद वैश्विक निवेशकों की चिंताओं को दर्शाता है, जिसके चलते लोग जोखिम भरे एसेट्स से पैसा निकालकर सोने में निवेश कर रहे हैं.
क्यों बढ़ रही है गोल्ड की मांग?
बाजार विशेषज्ञों के अनुसार, मंदी की आशंका, बॉन्ड यील्ड में उतार-चढ़ाव, और वित्तीय अस्थिरता के चलते निवेशक एक बार फिर गोल्ड को सुरक्षित निवेश विकल्प मान रहे हैं. जब बाजार में अनिश्चितता बढ़ती है, तो गोल्ड ही वह संपत्ति होती है जिसमें लोगों को भरोसा होता है. यही कारण है कि फिजिकल गोल्ड, गोल्ड ETF और गोल्ड फ्यूचर्स सभी में जबरदस्त तेजी देखी जा रही है.
केंद्रीय बैंकों की ओर से भी तेजी से हो रही है सोने की खरीदारी
इस साल की शुरुआत में गोल्ड आधारित एक्सचेंज-ट्रेडेड फंड (ETF) में 2020 के बाद सबसे ज्यादा निवेश देखा गया है. इसके अलावा, कई केंद्रीय बैंक, खासकर उभरती अर्थव्यवस्थाओं वाले देशों में, अपनी डॉलर पर निर्भरता कम करने के लिए सोने का भंडारण बढ़ा रहे हैं. इससे यह स्पष्ट हो रहा है कि केवल व्यक्तिगत निवेशक ही नहीं, बल्कि संस्थागत और सरकारी स्तर पर भी गोल्ड की मांग बढ़ रही है.
डॉलर की कमजोरी और ब्याज दरों की दिशा भी तय करेगी गोल्ड का भविष्य
सोने की कीमतें अक्सर डॉलर की चाल और ब्याज दरों से प्रभावित होती हैं. यदि अमेरिका की ओर से ब्याज दरों में कटौती होती है, या डॉलर कमजोर होता है, तो गोल्ड की कीमतों में और उछाल आ सकता है. अभी के हालात में जहां आर्थिक सुस्ती और वैश्विक तनाव दोनों ही साथ चल रहे हैं, गोल्ड को इससे लगातार समर्थन मिल रहा है.
निवेशकों को क्या करना चाहिए?
- वर्तमान माहौल को देखते हुए निवेशकों के लिए कुछ महत्वपूर्ण बातें:
- हालांकि, ऊंचे दाम पर निवेश से पहले मार्केट का ट्रेंड और फाइनेंशियल सलाह अवश्य लें.
- गोल्ड में दीर्घकालिक निवेश करने की सोच सकते हैं क्योंकि यह आने वाले वर्षों में बेहतर रिटर्न दे सकता है.
- छोटे निवेशक गोल्ड ETF या सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड के जरिए निवेश कर सकते हैं.
- अस्थिरता के दौर में गोल्ड पोर्टफोलियो बैलेंस के लिए बेहतर विकल्प माना जाता है.