राशन कार्ड घोटाले में फंसे सरकारी कर्मचारी, दिल्ली सरकार की जांच में खुलासा Govt Employee Action

Govt Employee Action: दिल्ली सरकार के सूचना प्रौद्योगिकी (आईटी) विभाग ने एक बड़ी गड़बड़ी का खुलासा किया है. विभाग ने अपनी जांच में पाया कि राज्य सरकार के 5,621 से अधिक कर्मचारी ऐसे हैं, जिन्होंने नियमों के खिलाफ जाकर मुफ्त राशन का लाभ उठाया है. इन सभी कर्मचारियों की जानकारी राशन कार्ड नंबर, कर्मचारी कोड और पदनाम के साथ संबंधित विभागों को भेज दी गई है.

गैरकानूनी लाभ के बदले होगी वसूली

आईटी विभाग ने सेवा विभाग को पत्र भेजकर सुझाव दिया है कि वह खाद्य आपूर्ति और उपभोक्ता मामले विभाग के साथ समन्वय कर इन कर्मचारियों पर उचित कार्रवाई करें.

इसमें लिया गया राशन लाभ वसूलने की प्रक्रिया भी शामिल हो सकती है.

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यह कार्रवाई कानून के अनुसार और नियमों के उल्लंघन को ध्यान में रखते हुए की जाएगी.

डेटा हब के जरिए उजागर हुई गड़बड़ी

यह पूरा मामला तब सामने आया जब आईटी विभाग एकीकृत डाटा हब परियोजना (Integrated Data Hub Project) पर कार्य कर रहा था.

इस परियोजना का उद्देश्य सभी सरकारी योजनाओं के लाभार्थियों का डेटा एक ही मंच पर लाना है.

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इसी प्रक्रिया के दौरान राशन लाभ प्राप्त करने वालों की सूची का मिलान जब सरकारी कर्मचारियों के रिकार्ड से किया गया, तब यह गड़बड़ी उजागर हुई.

विभिन्न विभागों ने साझा किया कर्मचारी डेटा

इस परियोजना के तहत, दिल्ली सरकार के कई प्रमुख विभागों जैसे खाद्य एवं आपूर्ति, प्रधान लेखा कार्यालय (PAO) और राजस्व विभाग ने अपने कर्मचारियों का रिकॉर्ड आईटी विभाग के साथ साझा किया.

इस डाटा को क्रॉस-रेफरेंसिंग और विश्लेषण के माध्यम से मिलाया गया.

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यह प्रणाली भविष्य में सरकारी योजनाओं के दुरुपयोग को रोकने में अहम भूमिका निभाएगी.

हजारों कर्मचारी नियमों के खिलाफ ले रहे थे लाभ

आईटी विभाग के प्रारंभिक विश्लेषण में खुलासा हुआ कि 5,621 राशन लाभार्थियों के रिकार्ड PAO के कर्मचारी डाटाबेस से मेल खाते हैं.

इनमें से 395 लाभार्थी राशन कार्ड में परिवार के मुखिया के रूप में दर्ज थे.

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सबसे चौंकाने वाली बात यह रही कि 3,072 लाभार्थियों ने एक लाख रुपये से अधिक की वार्षिक आय का प्रमाण पत्र भी जमा किया था, जबकि राशन योजना का लाभ केवल कम आय वर्ग के लोगों के लिए आरक्षित है.

सुशासन के लिए डेटा निगरानी होगी जरूरी

इस मामले ने एक बार फिर यह सिद्ध किया है कि सुशासन और पारदर्शिता के लिए डेटा आधारित निगरानी और विश्लेषण अत्यंत आवश्यक है.

एकीकृत डाटा हब परियोजना भविष्य में ऐसे मामलों को रोकने के लिए एक प्रभावी औजार साबित हो सकता है.

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विभाग ने कहा है कि इस तरह के डेटा एनालिसिस से योजनाओं का वास्तविक लाभार्थी तक पहुंचना सुनिश्चित किया जा सकेगा.

आगे क्या हो सकता है?

सरकारी सूत्रों के अनुसार,

जिन कर्मचारियों ने राशन योजना का अनुचित लाभ लिया है, उनसे वसूली की प्रक्रिया जल्द शुरू हो सकती है. साथ ही, इन कर्मचारियों के खिलाफ विभागीय अनुशासनात्मक कार्रवाई भी की जा सकती है.

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यह भी संभावना है कि भविष्य में ऐसे मामलों को रोकने के लिए राशन वितरण प्रणाली में बायोमैट्रिक सत्यापन और कर्मचारी पहचान प्रणाली को जोड़ा जाए.

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