Private Schools: हरियाणा सरकार ने बच्चों और अभिभावकों की परेशानी को देखते हुए निजी स्कूलों की मनमानी पर लगाम कसने के लिए कड़े निर्देश जारी किए हैं. सरकार का कहना है कि अब कोई भी स्कूल बच्चों के ऊपर अनावश्यक बोझ नहीं डाल सकता. फिर चाहे वो भारी स्कूल बैग हो, महंगी किताबें हों या हर साल नई यूनिफॉर्म खरीदने का दबाव. अगर कोई स्कूल इन नियमों का पालन नहीं करता है, तो उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी.
शिक्षा विभाग करेगा निगरानी और जांच
राज्य सरकार के निर्देश के बाद अब शिक्षा विभाग की टीमें निजी स्कूलों की नियमित जांच करेंगी. अगर कोई स्कूल तय मानकों का पालन नहीं करता तो अभिभावक जिला शिक्षा अधिकारियों के ईमेल और मोबाइल नंबर पर सीधे शिकायत दर्ज करा सकते हैं. इसके अलावा अधिकारियों को अधिकार दिया गया है कि वे किसी भी समय स्कूल में जाकर जांच कर सकते हैं. जांच में नियमों का उल्लंघन पाए जाने पर कार्रवाई की जाएगी.
केवल एनसीईआरटी और सीबीएसई की किताबें ही होंगी अनिवार्य
सरकार ने साफ कर दिया है कि स्कूलों में केवल एनसीईआरटी या सीबीएसई से मान्यता प्राप्त किताबें ही लगाई जाएंगी. यदि कोई स्कूल निजी प्रकाशकों की महंगी किताबों को खरीदने का दबाव बनाता है तो यह राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 और शिक्षा के अधिकार कानून का उल्लंघन माना जाएगा. सरकार का मानना है कि महंगी किताबों की वजह से अभिभावकों पर आर्थिक दबाव बढ़ता है, जो उचित नहीं है.
यूनिफॉर्म बार-बार बदलने पर रोक
निजी स्कूलों में हर साल नई यूनिफॉर्म अनिवार्य करने की परंपरा अब खत्म होगी. सरकार ने स्कूलों को निर्देश दिए हैं कि वे बार-बार यूनिफॉर्म में बदलाव ना करें. यह व्यापारिक गतिविधि मानी जाएगी. इसके साथ ही स्कूल किसी खास दुकान से ही वर्दी खरीदने का दबाव नहीं बना सकते. अभिभावक अपनी मर्जी से कहीं से भी यूनिफॉर्म खरीद सकते हैं.
पुरानी किताबों को प्रोत्साहन मिलेगा
सरकार चाहती है कि स्कूलों में पुरानी किताबों के उपयोग को बढ़ावा मिले. हर साल नई किताबें खरीदना न केवल पर्यावरण के लिए नुकसानदायक है. बल्कि इससे अभिभावकों की जेब पर भी असर पड़ता है. शिक्षा विभाग ने कहा कि स्कूलों को चाहिए कि वे बच्चों को पुरानी किताबें इस्तेमाल करने के लिए प्रेरित करें. जिससे पढ़ाई सस्ती और पर्यावरण के अनुकूल हो सके.
स्कूल में शुद्ध पेयजल होना अनिवार्य
शिक्षा विभाग ने यह भी स्पष्ट किया है कि हर स्कूल में शुद्ध पेयजल की व्यवस्था होनी चाहिए. कोई भी बच्चा प्यासा ना रहे या केवल घर से पानी लाने पर निर्भर ना हो. अगर किसी स्कूल में पीने के पानी की सही व्यवस्था नहीं है, तो वहां के खिलाफ तुरंत कार्रवाई की जाएगी.
बच्चों के लिए तय हुआ स्कूल बैग का वजन
हरियाणा सरकार ने छोटे बच्चों के स्वास्थ्य को ध्यान में रखते हुए स्कूल बैग के वजन की सीमा तय कर दी है. पहली और दूसरी कक्षा के छात्रों का बैग 1.5 किलोग्राम से अधिक नहीं होना चाहिए. ज्यादा वजन उठाने से बच्चों को पीठ और शरीर से जुड़ी दिक्कतें हो सकती हैं. स्कूलों को इस नियम का कड़ाई से पालन करना होगा.
शिक्षा को व्यवसाय नहीं बनाएं स्कूल
सरकार ने साफ तौर पर कहा है कि शिक्षा एक गैर-लाभकारी क्षेत्र है और इसे मुनाफे का जरिया नहीं बनाना चाहिए. स्कूलों को केवल अपनी मूलभूत जरूरतें और खर्च चलाने के लिए शुल्क लेना चाहिए. लेकिन ज्यादा मुनाफा कमाने की प्रवृत्ति पर रोक लगाई जाएगी. शिक्षा का उद्देश्य बच्चों को बेहतर भविष्य देना है, न कि अभिभावकों की जेब ढीली करना.
सांसद शैलजा ने उठाया था मुद्दा
निजी स्कूलों की बढ़ती मनमानी को लेकर राज्यसभा सांसद कुमारी शैलजा ने भी आवाज उठाई थी. उन्होंने सरकार पर आरोप लगाया था कि वह आंखें मूंदकर तमाशा देख रही है. उन्होंने कहा कि कई स्कूल अभिभावकों पर किताबों, यूनिफॉर्म और अन्य चीजों के लिए अनावश्यक दबाव बना रहे हैं. अब सरकार ने उनके सुझाव को गंभीरता से लेते हुए ये दिशा-निर्देश लागू किए हैं.
अभिभावकों को मिलेगी राहत
सरकार के इस फैसले से अभिभावकों को बड़ी राहत मिलेगी. अब उन्हें हर साल महंगी किताबें, यूनिफॉर्म और अन्य खर्चों का सामना नहीं करना पड़ेगा. साथ ही बच्चों पर शारीरिक और मानसिक बोझ भी कम होगा. शिक्षा एक सरल और सुलभ प्रक्रिया बनेगी. जहां हर बच्चा बिना डर के सीख सकेगा.