Truecaller Update भारत में जल्द ही एक बड़ा टेक्नोलॉजिकल बदलाव होने जा रहा है. अब जब कोई अनजान नंबर से आपके मोबाइल पर कॉल आएगा, तो स्क्रीन पर सिर्फ नंबर नहीं, बल्कि कॉल करने वाले का नाम भी दिखाई देगा. इस नई सुविधा को Caller Name Presentation (CNAP) कहा जाता है, जिसे जल्द ही पूरे देश में रोलआउट किया जाएगा.
क्या है CNAP और क्यों है जरूरी?
CNAP यानी कॉलर नेम प्रेजेंटेशन एक ऐसी टेक्नोलॉजी है जो कॉलर की पहचान को दर्शाती है. इसके जरिए जब कोई कॉल करेगा, तो रिसीवर को तुरंत पता चल जाएगा कि कॉल किसने किया है – भले ही वह नंबर आपके फोन में सेव न हो.
यह फीचर लोगों को फेक कॉल, स्पैम और साइबर फ्रॉड से बचाने में बेहद कारगर साबित हो सकता है. वर्तमान समय में जब हर दिन साइबर ठगी के मामले सामने आ रहे हैं, ऐसे में CNAP तकनीक से काफी हद तक नियंत्रण संभव है.
DoT ने टेलीकॉम कंपनियों को दिया ट्रायल का निर्देश
डिपार्टमेंट ऑफ टेलीकम्यूनिकेशन (DoT) ने देश की प्रमुख टेलीकॉम कंपनियों को यह फीचर लागू करने से पहले ट्रायल शुरू करने के निर्देश दिए हैं. DoT ने सभी ऑपरेटरों से 18 अप्रैल 2025 तक ट्रायल की विस्तृत रिपोर्ट मांगी है.
इस तकनीक का ट्रायल हरियाणा और महाराष्ट्र जैसे राज्यों में शुरू भी हो चुका है.
जियो, एयरटेल और Vi – कौन कितनी तैयारी में है?
ट्रायल की बात करें तो Jio और Airtel पहले ही इस पर काम कर चुके हैं और अपने ट्रायल्स को लगभग पूरा कर लिया है. Vodafone Idea (Vi) भी जल्द ही ट्रायल शुरू करेगा और Jio व Airtel के साथ मिलकर इंटर-ऑपरेटर ट्रायल को अंजाम देगा.
इससे यह तय माना जा रहा है कि आने वाले कुछ महीनों में CNAP फीचर सभी यूजर्स के लिए उपलब्ध हो सकता है.
शुरुआत में 4G और 5G यूजर्स को मिलेगा फायदा
CNAP सर्विस की शुरुआत में इसका फायदा 4G और 5G नेटवर्क का उपयोग करने वाले ग्राहकों को मिलेगा. 2G यूजर्स को इस सुविधा के लिए अभी थोड़ा और इंतजार करना होगा.
इस तकनीक को पूरी तरह से लागू करने में IMS यानी IP मल्टीमीडिया सबसिस्टम टेक्नोलॉजी का महत्वपूर्ण योगदान रहेगा.
नोकिया बनी पार्टनर, जियो तैयार कर रहा अपना सिस्टम
Airtel और Vi ने इस तकनीक को लागू करने के लिए Nokia के साथ साझेदारी की है. Nokia द्वारा दी जा रही IMS टेक्नोलॉजी CNAP और स्पैम डिटेक्शन जैसी सेवाओं के लिए एक मजबूत आधार तैयार कर रही है.
वहीं Jio ने खुद का CNAP सिस्टम डेवलप करने का निर्णय लिया है, ताकि वह अपनी तकनीकी स्वतंत्रता बनाए रख सके और यूजर्स को बेहतर अनुभव दे सके.
CNAP से बदल जाएगी कॉलिंग की दुनिया
CNAP फीचर से अब लोगों को अनजान नंबरों से आने वाली कॉल के पीछे की पहचान तुरंत पता चल सकेगी. इससे अनचाहे कॉल, टेलीमार्केटिंग कॉल्स, और फर्जी नंबरों से आने वाले धोखाधड़ी के कॉल्स को रोकने में मदद मिलेगी.
अब किसी को “कौन कॉल कर रहा है?” ये जानने के लिए ट्रूकॉलर जैसी थर्ड-पार्टी ऐप पर निर्भर नहीं रहना पड़ेगा. यह फीचर सिस्टम लेवल पर काम करेगा और सभी यूजर्स के लिए मुफ्त होगा.
क्या यह Truecaller की छुट्टी कर देगा?
सवाल उठता है कि जब CNAP जैसी सरकारी व्यवस्था आ जाएगी, तो क्या Truecaller जैसी प्राइवेट ऐप्स की जरूरत खत्म हो जाएगी?
उत्तर है – काफी हद तक हां. क्योंकि CNAP अधिक सटीक, भरोसेमंद और डेटा सुरक्षित तकनीक होगी जो सरकार द्वारा नियंत्रित होगी, जबकि Truecaller जैसे ऐप्स यूजर्स के डाटा पर निर्भर करते हैं और उनकी निजता को लेकर सवाल उठते रहते हैं.
डेटा सुरक्षा और निजता का होगा ध्यान
DoT ने यह भी स्पष्ट किया है कि CNAP फीचर लागू करते समय यूजर्स की प्राइवेसी और डेटा सुरक्षा को सर्वोच्च प्राथमिकता दी जाएगी. कॉलर की जानकारी को सिर्फ आवश्यक परिस्थिति में दिखाया जाएगा और इसके लिए कानूनी रूप से सभी प्रक्रियाएं तय की जाएंगी.