Haryana Crop Compansation: हरियाणा में किसानों के लिए एक बड़ी और निराशाजनक खबर सामने आई है। प्रदेश के कई जिलों में गेहूं की खड़ी फसलें बिजली के शॉर्ट सर्किट (Short Circuit Fire in Farms) के कारण जलकर राख हो गई हैं, लेकिन अब यह साफ हो चुका है कि इन किसानों को प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना (PMFBY) के तहत कोई मुआवजा नहीं मिलेगा। कृषि विभाग के अधिकारियों की मानें तो बिजली के कारण लगी आग को बीमा योजना में कवर नहीं किया गया है।
सैकड़ों एकड़ फसल खाक 300 से ज्यादा किसान प्रभावित
प्रदेश भर में अब तक एक दर्जन से अधिक जिलों में आग लगने की घटनाएं सामने आ चुकी हैं। इनमें कैथल, सिरसा और फतेहाबाद सबसे ज्यादा प्रभावित जिले हैं। इन जिलों में सैकड़ों एकड़ गेहूं की फसल चंद मिनटों में राख हो गई है। बताया जा रहा है कि इन घटनाओं से 300 से अधिक किसान सीधे तौर पर प्रभावित हुए हैं और करोड़ों रुपये का आर्थिक नुकसान हुआ है।
एक एकड़ में औसतन 50 हजार रुपये का नुकसान
कृषि विशेषज्ञों के अनुसार, गेहूं की खड़ी फसल में लगी आग से प्रति एकड़ औसतन 50 हजार रुपये का नुकसान होता है। इसमें फसल की लागत, खाद, बीज, सिंचाई और मजदूरी जैसे खर्च शामिल होते हैं। अगर एक किसान की 3-4 एकड़ की फसल जलती है, तो उसे सीधे तौर पर 1.5 से 2 लाख रुपये तक का घाटा झेलना पड़ता है। बिना किसी सरकारी सहायता के यह बोझ बेहद भारी साबित हो रहा है।
आग लगने की सबसे बड़ी वजह हाइवोल्टेज लाइनें
कृषि विभाग के अधिकारियों ने जानकारी दी है कि खेतों से गुजरने वाली हाइवोल्टेज बिजली लाइनों में खराबी या शॉर्ट सर्किट के कारण ही अधिकतर आगजनी की घटनाएं हुई हैं। तेज गर्मी और सूखी गेहूं की फसल में एक छोटी सी चिंगारी भी बड़ी तबाही मचा देती है। ग्रामीण इलाकों में ऐसी लाइनें अक्सर बिना सुरक्षा उपायों के गुजरती हैं, जिससे खतरा और बढ़ जाता है।
अभी तक नहीं हुआ कोई आधिकारिक मुआवजा ऐलान
हालांकि किसानों को राहत देने के लिए सरकार की ओर से अब तक कोई औपचारिक मुआवजा पैकेज घोषित नहीं किया गया है। कृषि विभाग और राजस्व विभाग इस नुकसान का आकलन कर रहे हैं। अंदरूनी सूत्रों के अनुसार सरकार जल्द ही एक राहत योजना लाने पर विचार कर रही है, लेकिन जब तक इसकी आधिकारिक घोषणा नहीं होती, तब तक किसानों को राहत मिलना मुश्किल है।
मुख्यमंत्री ने माना किसानों का संकट
मुख्यमंत्री नायब सैनी ने इस संकट को स्वीकारते हुए कहा है कि हाल ही में प्रदेश में आग की कई घटनाओं में फसल, पशुधन और संपत्ति को नुकसान पहुंचा है। उन्होंने सभी जिला उपायुक्तों (DCs) को निर्देश दिए हैं कि वे नुकसान की विस्तृत रिपोर्ट तैयार कर जल्द सरकार को सौंपें। इसके आधार पर कोई निर्णय लिया जाएगा। हालांकि अब तक किसी विशेष राहत या पुनर्वास पैकेज का ऐलान नहीं किया गया है।
बीमा योजना की सीमाओं ने बढ़ाई चिंता
प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना का उद्देश्य प्राकृतिक आपदाओं या अन्य कारणों से फसल को हुए नुकसान की भरपाई करना है, लेकिन योजना के नियमों के अनुसार, मानव जनित घटनाओं या तकनीकी कारणों से लगी आग को इसमें शामिल नहीं किया गया है। इसी कारण बिजली के शॉर्ट सर्किट से लगी आग को योजना में कवर नहीं किया जाता, जिससे किसानों को मुआवजा नहीं मिल पा रहा है।
किसानों की मांग अलग राहत फंड बने
प्रभावित किसानों ने सरकार से मांग की है कि ऐसी आपातकालीन घटनाओं के लिए अलग राहत फंड बनाया जाए। उनका कहना है कि यह सरकार की जिम्मेदारी है कि खेतों से गुजरने वाली बिजली लाइनों की समय-समय पर जांच हो और जरूरत पड़ने पर उन्हें हटाया जाए या भूमिगत किया जाए। साथ ही, आग से जली फसल के लिए तत्काल मुआवजा देने की नीति लागू होनी चाहिए।
विपक्ष ने भी उठाए सवाल
प्रदेश में विपक्षी दलों ने भी सरकार पर निशाना साधा है। उनका कहना है कि जब किसान प्राकृतिक आपदा का शिकार हो या तकनीकी लापरवाही से नुकसान उठाए, तो सरकार को तुरंत सहायता पहुंचानी चाहिए। विपक्षी नेताओं ने आरोप लगाया है कि सरकार सिर्फ रिपोर्ट बनवा रही है लेकिन जमीन पर किसानों को कोई राहत नहीं मिल रही।
किसानों को राहत की सख्त जरूरत
हरियाणा के किसानों पर एक ओर गर्मी की मार है तो दूसरी ओर जलती फसल का दर्द। ऐसे में अगर उन्हें बीमा योजना से भी बाहर कर दिया जाए, तो यह स्थिति और गंभीर हो सकती है। सरकार को जल्द से जल्द किसी वैकल्पिक मुआवजा योजना की घोषणा करनी चाहिए ताकि प्रभावित किसान दोबारा अपनी खेती की तैयारी कर सकें।