Gehu Mandi Bhav: हरियाणा के खेतों में इस समय रौनक लौट आई है. गेहूं की फसल पूरी तरह पककर तैयार हो चुकी है और अब उसकी कटाई का काम ज़ोरों पर है. खेतों में कहीं हाथ से तो कहीं कंबाइन मशीनों से कटाई हो रही है. जिससे धीरे-धीरे राज्य की अनाज मंडियों में गेहूं की आवक शुरू हो गई है.
बल्लभगढ़ अनाज मंडी की बात करें तो यहां हर दिन हजारों क्विंटल गेहूं ट्रालियों में लादकर किसान मंडी में पहुंचा रहे हैं. किसानों के चेहरों पर राहत नजर आ रही है क्योंकि उन्हें अपनी मेहनत का उचित मूल्य और त्वरित खरीद प्रक्रिया मिल रही है.
मंडी में सुचारू रूप से हो रही है खरीद
बल्लभगढ़ मंडी में आसपास के ही नहीं बल्कि दूरदराज के इलाकों के किसान भी अपनी फसल लेकर पहुंच रहे हैं. यहां हर दिन ट्रॉलियों की लंबी कतारें देखने को मिल रही हैं. लेकिन व्यवस्था इतनी बेहतर है कि तोल प्रक्रिया तेज गति से चल रही है.
मंडी में पहुंचे एक किसान ने बताया कि वह 250 क्विंटल गेहूं लेकर पहुंचे थे और उनकी फसल तुरंत बिक गई. उन्होंने कहा कि,
“नमी जैसी समस्याओं के नाम पर कोई बहाना नहीं बनाया गया. अधिकारियों और खरीद एजेंसी ने सही तरीके से काम किया.”
72 घंटे में भुगतान का दावा
सरकार ने दावा किया है कि खरीद के 72 घंटे के भीतर किसानों के खाते में भुगतान कर दिया जाएगा. हालांकि कुछ किसानों ने बताया कि उन्हें भुगतान में 4-5 दिन का समय लग रहा है. लेकिन उन्हें इससे कोई खास परेशानी नहीं है.
किसानों का कहना है कि:
“पैसे समय पर मिल रहे हैं, कभी दो दिन में आ जाते हैं, कभी चार दिन लग जाते हैं. पर भरोसा है कि मिलते जरूर हैं.” इस भरोसे की वजह से किसान सरकार की खरीद प्रक्रिया से संतुष्ट हैं और मंडियों में सक्रिय रूप से अपनी फसल बेचने पहुंच रहे हैं.
MSP ₹2425 प्रति क्विंटल
इस बार भारत सरकार ने गेहूं का न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) ₹2425 प्रति क्विंटल तय किया है, जो पिछले वर्ष के मुकाबले ₹150 अधिक है. खुले बाजार में गेहूं के दाम लगातार गिर रहे हैं. लेकिन सरकारी मंडियों में MSP पर फसल बेचना किसानों के लिए फायदे का सौदा साबित हो रहा है.
“मंडी में बेचकर हम घाटे से बच जाते हैं. MSP पर बेचना सुरक्षित और लाभकारी है,” – एक किसान ने बताया.
रजिस्ट्रेशन वाले किसानों को मिल रहा लाभ
सरकार ने स्पष्ट किया है कि “मेरी फसल मेरा ब्यौरा” पोर्टल पर पंजीकरण कराने वाले किसानों को ही सरकारी खरीद योजना का लाभ मिलेगा.
इस योजना के तहत:
- किसानों की पहचान पहले से मौजूद होती है
- खरीद एजेंसियों को डेटा तुरंत मिल जाता है
- भुगतान प्रक्रिया में देरी नहीं होती
इसलिए सरकार और मंडी अधिकारी किसानों से अपील कर रहे हैं कि जो अभी तक पंजीकरण नहीं करा पाए हैं, वे तुरंत इसे पूरा करें.
सरकारी एजेंसियां खरीद में जुटीं
बल्लभगढ़ मंडी में सरकारी एजेंसियां जैसे खाद्य आपूर्ति विभाग और हैफेड (HAFED) सक्रिय रूप से गेहूं की खरीद कर रही हैं.
मंडी में उपलब्ध सुविधाएं:
- फसल तोल के लिए इलेक्ट्रॉनिक कांटे
- पेयजल और छांव की व्यवस्था
- मंडी हेल्प डेस्क
- ट्रॉलियों के लिए पर्याप्त पार्किंग
- सुरक्षा के लिए CCTV कैमरे और पुलिस व्यवस्था
इन व्यवस्थाओं से किसानों को मंडी में रुकने या व्यवस्था की चिंता नहीं करनी पड़ रही है.
इस बार मौसम रहा अनुकूल, उत्पादन में सुधार
किसानों का कहना है कि इस बार मौसम ने उनका साथ दिया. जिससे फसल की उपज अच्छी हुई है. ज्यादा ठंड न पड़ने और समय पर बारिश रुकने के कारण गेहूं की बालियां भरपूर आई हैं.
एक किसान के अनुसार:
“इस बार कटाई से पहले तेज हवाएं और ओलावृष्टि नहीं हुई. इसलिए गेहूं की क्वालिटी भी बेहतर रही है.”
इससे किसानों को अच्छी क्वालिटी के बदले अच्छे दाम मिलने की उम्मीद है.
किसानों के लिए सुझाव और अपील
राज्य सरकार और कृषि विपणन बोर्ड की तरफ से किसानों को कुछ जरूरी सलाह दी गई है –
- किसी भी समस्या की स्थिति में मंडी हेल्प डेस्क से तुरंत संपर्क करें.
- फसल की कटाई के बाद उसे अच्छे से सुखाकर ही मंडी लाएं.
- मंडी में लाने से पहले नमी की जांच करें, जिससे फसल रिजेक्ट न हो.
- पंजीकरण और दस्तावेज साथ लेकर आएं.
- खरीद एजेंसी द्वारा दी गई पावती (रसीद) को संभाल कर रखें.