Airport Food Pricing: अगर आप हवाई यात्रा करते हैं तो आपने जरूर महसूस किया होगा कि एयरपोर्ट पर खाना-पीना बेहद महंगा होता है. खासकर पानी की बोतल, चाय, कॉफी या स्नैक्स जैसी आम चीजें. जो सामान बाहर आसानी से कम कीमत पर मिल जाता है. वही एयरपोर्ट पर दो से तीन गुना महंगे दामों में बेचा जाता है. लेकिन सवाल यह है कि आखिर ऐसा क्यों होता है? क्या यह सिर्फ मुनाफाखोरी है या इसके पीछे कुछ और वजहें हैं? आइए जानते हैं पूरी कहानी.
न्यूयॉर्क पोस्ट की रिपोर्ट से हुआ बड़ा खुलासा
न्यूयॉर्क पोस्ट में प्रकाशित एक रिपोर्ट के अनुसार एक रिपोर्टर ने बताया कि कैनेडी इंटरनेशनल एयरपोर्ट (JFK) पर एक सामान्य पानी की बोतल की कीमत 4.99 डॉलर, यानी करीब ₹430 थी. जबकि उसी ब्रांड की बोतल एक अन्य एयरपोर्ट पर ₹283 में उपलब्ध थी. इससे साफ है कि अलग-अलग एयरपोर्ट पर एक ही प्रोडक्ट की कीमतों में अंतर काफी ज्यादा होता है और इसकी कोई निश्चित राष्ट्रीय सीमा या नियंत्रण नहीं है.
एयरपोर्ट की कीमतें क्यों होती हैं ज्यादा?
एयरपोर्ट पर सामान महंगे होने के कई कारण हैं. जिनमें से सबसे प्रमुख हैं:
- उच्च किराया और टैक्स: एयरपोर्ट के अंदर दुकानें खोलने के लिए दुकानदारों को बहुत ज्यादा किराया और शुल्क चुकाना पड़ता है.
- सुरक्षा मानकों का पालन: एयरपोर्ट पर बिकने वाले सामान को सुरक्षा जांच, पैकेजिंग और सुरक्षित सप्लाई चैन से होकर गुजरना होता है. जिससे लागत बढ़ जाती है.
- स्टाफ की लागत: एयरपोर्ट पर काम करने वाले कर्मचारियों की सैलरी और सुविधाएं भी बाहर की दुकानों की तुलना में ज्यादा होती हैं.
- सुविधाएं और रख-रखाव: एयरपोर्ट के हाई मेंटेनेंस इंफ्रास्ट्रक्चर की वजह से अतिरिक्त खर्च भी दुकानों से वसूला जाता है.
पोर्ट अथॉरिटी ने क्या कहा?
यूएसए टुडे की रिपोर्ट में पोर्ट अथॉरिटी ने बताया कि एयरपोर्ट की ऊंची लागत को मैनेज करने के लिए स्ट्रीट प्राइस पर 10% से 15% तक अतिरिक्त मार्जिन जोड़ा जाता है. इसका मतलब यह है कि जो सामान बाजार में ₹100 का मिलता है. वही एयरपोर्ट पर ₹110 से ₹115 में बेचा जा सकता है. हालांकि कई जगहों पर यह अंतर इससे कहीं ज्यादा होता है. खासकर बड़े मेट्रो शहरों और इंटरनेशनल एयरपोर्ट्स पर.
क्या कोई सरकारी नियंत्रण नहीं है?
भारत सहित दुनिया के अधिकतर देशों में एयरपोर्ट पर बिकने वाले सामान की कीमतों को नियंत्रित करने के लिए कोई राष्ट्रीय नियम नहीं है. यानी हर एयरपोर्ट अपने हिसाब से कीमत तय कर सकता है. जब तक वह किसी अनुबंध या ग्राहक अधिकार कानून का उल्लंघन नहीं करता. हालांकि कुछ मामलों में यात्रियों की शिकायत पर नागर विमानन मंत्रालय (DGCA) या एयरपोर्ट अथॉरिटी ऑफ इंडिया (AAI) जांच करते हैं. लेकिन यह बहुत सीमित दायरे में होता है.
भारत में भी पानी और खाने के रेट को लेकर हो चुकी है बहस
भारत के कई बड़े एयरपोर्ट जैसे दिल्ली, मुंबई, बेंगलुरु, हैदराबाद में यात्रियों ने कई बार शिकायत की है कि ₹20 की पानी की बोतल ₹50 या उससे अधिक में बेची जा रही है. कुछ साल पहले DGCA ने निर्देश जारी किए थे कि खाने और पानी के दाम सामान्य होने चाहिए. लेकिन इसे सख्ती से लागू नहीं किया जा सका. आज भी यात्रियों को मजबूरी में महंगे रेट पर ही सामान खरीदना पड़ता है.
क्या फ्लाइट के अंदर भी होता है ओवरचार्जिंग?
हां, फ्लाइट में भी यही स्थिति है. कई एयरलाइंस जैसे IndiGo, SpiceJet, Air India आदि में खाना और पानी चार्जेबल होता है. खासकर इकोनॉमी क्लास में. एक सैंडविच या नूडल्स का पैकेट, जो बाजार में ₹40-₹60 का होता है. वह फ्लाइट में ₹150 से ₹200 में बेचा जाता है. यात्रियों को फ्लाइट में खाने के सीमित विकल्प और ब्रांड के नाम पर यह कीमत चुकानी पड़ती है.
यात्रियों की क्या है मजबूरी?
एयरपोर्ट या फ्लाइट के अंदर जब यात्री पहुंच जाते हैं, तो उनके पास विकल्प नहीं होता. सुरक्षा जांच के बाद बाहर से लाया गया पानी या भोजन साथ नहीं ले जाया जा सकता. ऐसे में जो भी उपलब्ध होता है. उन्हें मजबूरी में वही लेना पड़ता है, भले ही वह महंगा हो.