Bank Account Rules: भारत सरकार ने वित्त वर्ष 2025-26 के लिए एक महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए सभी सरकारी बैंकों से कहा है कि वे निष्क्रिय खातों में वर्षों से पड़ी बिना दावे वाली जमा राशि का कम से कम 30 से 40 प्रतिशत निपटारा करें। यह राशि अब तक ₹78,000 करोड़ रुपये के पार पहुंच चुकी है और सरकार की मंशा है कि यह पैसा सही खाताधारकों तक वापस पहुंचे।
सरकार ने तय किया है लक्ष्य SOP के तहत होगा काम
सरकार की योजना के अनुसार, सभी सरकारी बैंकों को जमीनी स्तर पर कार्य करना होगा। इसके लिए एक मानक संचालन प्रक्रिया (SOP) तैयार की जा रही है जिसके तहत हर बैंक को यह पता लगाना होगा कि उनके किन क्षेत्रों में सबसे अधिक निष्क्रिय खाते मौजूद हैं। इसके बाद त्रैमासिक लक्ष्य तय किए जाएंगे, ताकि पूरे साल के अंत तक एक निश्चित हिस्से का निपटान हो सके।
निष्क्रिय खातों के लिए लागू होंगे RBI के नए दिशा-निर्देश
भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने 1 अप्रैल 2024 से निष्क्रिय खातों को लेकर नए दिशा-निर्देश लागू किए हैं। इन निर्देशों के तहत:
- सभी बैंकों को अपनी वेबसाइट पर निष्क्रिय खातों और उनसे जुड़ी रकम की जानकारी देनी होगी।
- वेबसाइट पर एक पब्लिक सर्च विकल्प भी उपलब्ध कराया जाएगा जिससे कोई भी व्यक्ति यह पता कर सकेगा कि क्या उसके नाम से कोई बकाया जमा है।
सरकार ने इस पहल को बैंकिंग सुधार एजेंडा का हिस्सा बना दिया है।
क्या होता है निष्क्रिय खाता ?
निष्क्रिय खाता वह होता है जिसमें 10 साल या उससे अधिक समय तक कोई लेनदेन नहीं हुआ हो। ऐसे खातों की रकम RBI के डिपॉजिटर एजुकेशन एंड अवेयरनेस फंड (DEAF) में भेज दी जाती है। इस फंड का उद्देश्य बैंक उपभोक्ताओं के हितों की रक्षा करना और वित्तीय साक्षरता को बढ़ाना है। मौजूदा समय में यह फंड ₹78,000 करोड़ के पार पहुंच चुका है।
बैंक अब असली खाताधारकों तक आसानी से पहुंच सकते हैं
बैंकिंग क्षेत्र के विशेषज्ञ विवेक अय्यर का मानना है कि पिछले कुछ वर्षों में बैंकों ने KYC (Know Your Customer) और अन्य पहचान प्रक्रियाओं को काफी सख्त और व्यवस्थित कर दिया है। अब बैंकों के पास खाताधारकों की बेहतर जानकारी है, जिससे निष्क्रिय खातों के असली मालिकों तक पहुंचना आसान हो गया है। इससे यह अभियान पहले से ज्यादा सफल हो सकता है।
निजी बैंक भी आ सकते हैं योजना के दायरे में
फिलहाल यह पहल केवल सरकारी बैंकों पर केंद्रित है, लेकिन भारतीय बैंक संघ (IBA) की मंशा है कि इसे निजी बैंकों तक भी विस्तारित किया जाए। कानूनी विशेषज्ञ मनमीत कौर के अनुसार, यह कदम बैंकों की रिकॉर्ड-रखने की लागत को कम करेगा और ब्याज देने के दायित्व से छुटकारा दिलाएगा। साथ ही उपभोक्ताओं के लिए भी यह रकम फायदेमंद साबित हो सकती है।
उद्गम पोर्टल से मिल रही मदद लेकिन प्रक्रिया अभी अधूरी
आरबीआई ने पहले ही UDGAM पोर्टल लॉन्च किया है, जिसकी मदद से ग्राहक यह पता कर सकते हैं कि उनके नाम पर कोई निष्क्रिय खाता या जमा राशि है या नहीं। लेकिन फिलहाल इस पोर्टल से केवल जानकारी मिलती है, क्लेम करने के लिए बैंक शाखा जाना अनिवार्य है।
सरकार की योजना है कि भविष्य में यह प्रक्रिया पूरी तरह डिजिटल हो, ताकि ऑनलाइन ही दावा दाखिल किया जा सके। इससे बुजुर्गों, ग्रामीणों और व्यस्त उपभोक्ताओं को राहत मिलेगी।
उपभोक्ताओं और अर्थव्यवस्था को होगा सीधा फायदा
वित्तीय विशेषज्ञों का मानना है कि यह कदम उपभोक्ताओं के लिए सीधा आर्थिक लाभ लेकर आएगा। साथ ही यह बैंकों में लंबे समय से जमी रकम को फिर से अर्थव्यवस्था में सक्रिय करेगा। अगर यह राशि सही लोगों तक पहुंचती है तो इससे देश की खपत और निवेश क्षमता दोनों में वृद्धि हो सकती है।
यह राशि कहां जाती है और कैसे मिल सकती है ?
- अगर कोई खाता 10 साल तक निष्क्रिय रहा, तो उसमें जमा राशि RBI के DEAF फंड में चली जाती है।
- खाताधारक या उनके परिजन अगर यह राशि वापस पाना चाहते हैं, तो उन्हें पहले UDGAM पोर्टल से जानकारी लेनी होगी।
- इसके बाद संबंधित बैंक की शाखा में जाकर जरूरी दस्तावेजों के साथ आवेदन करना होगा।
- बैंक सत्यापन के बाद राशि खाताधारक को लौटा देगा।
सरकार की योजना डिजिटल भारत की ओर एक और कदम
इस योजना को सरकार की डिजिटल इंडिया और जनहित केंद्रित सोच का हिस्सा माना जा रहा है। इस पहल से यह संकेत मिलता है कि सरकार केवल नई योजनाएं ही नहीं बना रही, बल्कि पुरानी जमा पूंजी को भी जनहित में लौटाने की दिशा में काम कर रही है।
निष्क्रिय खातों की सक्रिय वापसी
सरकार और आरबीआई की यह पहल बिना दावे वाली जमा राशियों को सही हकदारों तक पहुंचाने की दिशा में बड़ा और स्वागत योग्य कदम है। यह न केवल उपभोक्ताओं के हक को मजबूत करेगा, बल्कि बैंकिंग सिस्टम में पारदर्शिता और जवाबदेही को भी बढ़ावा देगा।